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    प्राचार्य

    प्रधानाचार्य

    प्राचार्य संदेश
    प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह अच्छा, सुविधा संपन्न एवं सुखी जीवन व्यतीत करे। लेकिन ये होगा कैसे?
    शिक्षा एक ऐसा साधन है जो व्यक्ति के व्यवहार एवं कर्म में सकारात्मक परिवर्तन कर उसे एक सुखी जीवन व्यतीत करने में मदद करता है।
    ये शिक्षा मिले कैसे? दो प्रकार से शिक्षा ग्रहण की जा सकती है औपचारिक एवं अनौपचारिक।
    औपचारिक शिक्षा के लिए प्रमुख केंद्र माना जाता है विद्यालयों को। विद्यालय क्या हैं? क्या ये केवल इमारत हैं, जिसमें बहुत सी शिक्षा में सहायक सुविधाएँ हैं या ये ऐसा स्थान है जहां विद्यार्थी एवं शिक्षक आकर मिलते हैं?
    वास्तव में विद्यालय एक ऐसा स्थान है जहां विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा ज्ञान का सृजन किया जाता है, ऐसा ज्ञान जिसे शिक्षार्थी अपने जीवन में उपयोग कर सुखी जीवन व्यतीत कर सके। इसको ऐसे समझ सकते हैं
    केंद्र स्थान सृजन उपयोग
    शिक्षा,विद्यालय ,कार्यक्रम ,ज्ञान , सुखी जीवन
    शिक्षा व्यक्ति के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाती है, पर कैसें? यह एक प्रक्रिया है जिसमें बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिये छोटे छोटे उद्देश्यों को पूरा करना होता है। शिक्षा के वे उद्देश्य कौन से हैं?
    शिक्षा के द्वारा हम ज्ञान का विस्तार करते हैं, विभिन्न कौशलों का विकास करते हैं, जीवन मूल्यों का संधान करते हुए उन्हें दैनिक जीवन में प्रकट करते हैं और इस प्रकार हमारे व्यवहार में परिवर्तन होता है।
    शिक्षा के मूलभूत उद्देश्य—१ ज्ञान का विस्तार २ कौशलों का विकास ३ जीवन मूल्यों का संधान एवं प्रकटीकरण
    ज्ञान क्या है? कभी कभी सूचना को ही ज्ञान समझने की भूल हो जाती है और हम पुस्तकों में वर्णित सूचनाओं को ही ज्ञान का दर्जा देते हैं एवं उसकी प्राप्ति या याद करने को ही अपना कर्तव्य समझने लगते हैं। ज्ञान केवल शिक्षण से ही प्राप्त नहीं किया जा सकता, अपितु ज्ञान प्राप्ति सीखने का ही पर्याय है। विद्यालयों में शिक्षण से अधिक सीखने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, अतः सीखना ही पूरी विद्यालयीन प्रक्रिया के मूल में होना चाहिए।
    सीखने को लेकर भी एक भ्रम है कि किसी ने याद कर लिया तो माना जाता है कि वह सीख गया। क्या याद करना ही वास्तव में सीखना है?
    सीखना भी एक प्रक्रिया है जिसे हम ऐसे समझ सकते हैं
    जानना (Knowing), समझना(Understanding), मनन करना (Analysis), ज्ञान का उपयोग (Application)
    इस सीखने की प्रक्रिया को समाज के विभिन्न घटकों जैसे विद्यार्थी, अभिभावक, शिक्षक, समाज के अन्य सदस्य तथा विभिन्न संस्थानों से परस्पर इंटरेक्शन कर पोषित करते रहना चाहिए।
    एक टीम के रूप में हम सही परिपेक्ष्य में विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लिए दृणसंकल्पित हैं।